One-draft Poems; thoughts scribbled in not so well-thought-out line breaks
महफ़िल उठ चुकी है -
अब नहीं रहा कोई तमाशा दिखाने को;
अदाकार सो गए गहरी नींद में -
कुछ ख्वाबों को अधूरा छोड़कर कुछ नए ख़्वाब देखने को।
Comments
Post a Comment